فنڈ ریزنگ 15 ستمبر، 2024 – 1 اکتوبر، 2024 فنڈ ریزنگ کے بارے میں

जवाब देना होगा: Volume-I "Questions of Postmodern...

  • Main
  • जवाब देना होगा: Volume-I...

जवाब देना होगा: Volume-I "Questions of Postmodern World" (Hindi Edition)

Shashank singh dheeraj kumar
0 / 5.0
0 comments
آپ کو یہ کتاب کتنی پسند ہے؟
فائل کی کوالٹی کیا ہے؟
کوالٹی کا جائزہ لینے کے لیے کتاب ڈاؤن لوڈ کریں
فائل کی کوالٹی کیا ہے؟
हम इंसान हैं और यही प्रवित्ति हमें जानवरों से अलग करती हैं क्योंकि हम सवाल पूछ सकते हैं, हम जवाब मांग सकते हैं और जवाबोँ में भी सवाल ढूंढ़ सकने का प्रयास कर सकते हैं।
हम भारत के नागरिक हैं और यह सिर्फ हमारा मौलिक अधिकार ही नहीं अपितू मौलिक कर्तव्य भी है कि हम सवाल पूछकर, जवाब मांगकर अपनी विचारधारा को वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और समाज सुधार की दिशा में प्रेरित करें। एक लोकतान्त्रिक गणतंत्र के संप्रभु नागरिक होने के नाते, इस संप्रभुता को बनाए रखने के लिए सवाल पूछना, जवाब मांगना और जवाबों में फिर से सवाल खड़ा करना अत्यंत आवश्यक है। इस कठिन समय में जब कोरोना वायरस नामक महामारी चारों तरफ फैली है, हमें मानवता के सबसे बहुमूल्य उपहार, जो कि सवालों को पूछना और जवाबों को मांगना है, को भूलना नहीं चाहिएl क्यूंकि विपत्ति काल में समाज में निहित शक्तियां हमेशा से ही केन्द्रीयकरण की ओर उन्मुक्त होती आयी हैं।
आजकल ना कोई सवाल पूछना चाहता है, ना कोई जवाब देना चाहता हैl सब गूंगे बन बैठे हैं, सब बहरे बन बैठे हैं, सब अंधे बन बैठे हैं और सवालों को बौना बता कर उनका मजाक उड़ाया जाता है, सवाल पूछने वालों को अंगूठा दिखाया जाता है।
हमें सवाल सिर्फ सरकार से नहीं बल्कि समाज से भी पूछने होते हैं, सवाल हमें खुद से भी पूछने होते हैं, सवाल हमें परिस्थियों से भी पूछने होते है, अपने खुदा से भी पूछने होते है और सिर्फ कुछ सवाल पूछने से ही हमारा कर्तव्य पूरा नहीं होता है। हमें जवाब भी मांगने होते है और खुद भी जवाब देने होते हैं। खुद यह जो जवाब हमें देने हैं कभी हमें खुद को देने हैं, कभी मजदूरों को देने हैं, कभी अपने पर्यावरण की तरफ अपनी निर्ममता को लेकर देने हैं, कभी महिलाओं पर हुए अत्याचार को लेकर देने हैं और कहीं हमें हमारी कठिन निर्बल परिस्थितियों पर देने होते हैं। चूँकि आजकल सवालों के जवाब में सिर्फ सवाल ही पैदा हो रहे हैं इसलिए आज हम कह रहे हैं कि जवाब देना होगा, हां जवाब देना होगा।
इस संकलन 'जवाब देना होगा' के प्रथम संस्करण में हमने अपनी कविताओं के माध्यम से काफी सारे सवाल पूछे हैं और सिर्फ सवाल पूछ के हम रुके नहीं हैं हमने यह भी समझाया है कि हां जवाब देना होगा, और क्यूँ जवाब देना होगा। 21वीं सदी के इस काल में शायद कुछ बड़े चुनिंदा पेंचिदा सवाल जो मानवता हाँथ फैला के पूछ रही है उनमें से कुछ सवालों के जवाब यहां हमने मांगने की विनम्र कोशिश की है।
سال:
2020
زبان:
hindi
صفحات:
51
فائل:
EPUB, 990 KB
IPFS:
CID , CID Blake2b
hindi, 2020
آن لائن پڑھیں
میں تبدیلی جاری ہے۔
میں تبدیلی ناکام ہو گئی۔

اہم جملے